आमाडांड ओपन कास्ट प्रोजेक्ट जमुना-कोतमा क्षेत्र एसईसीएल के 58 श्रमिकों की पुनर्बहाली हो:प्रो.भागवत प्रसाद दुबे

आरसीडब्ल्यूएफ के महामंत्री प्रो.भागवत प्रसाद दुबे ने एसईसीएल के सीएमडी को पत्र लिखकर यह मांग की है कि आमाडांड प्रोजेक्ट के लिए जिन 516 भूआश्रितो को पैकेज डील के तहत नौकरी दी गई थी उनमें से उन 202 श्रमिकों की नौकरी बहाल रखी जाए जिन्हें प्रबंधन ने नौकरी से निकालने के लिए चिन्हित किया है क्योंकि पैकेज डील का प्रावधान कोल इंडिया पुनर्वास नीति 2012 के कंडिका 8.1B(3) में प्राथमिकता के साथ लिखा गया है ।इन 202 में से एक भी नियुक्ति गैर कानूनी या फर्जी नहीं है एसईसीएल ने माननीय उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश के आदेश दिनांक 25/1/2018 की कंडिका क्रमांक 11 का पूर्ण उल्लंघन किया है। अब तक चिन्हित 202 में से 58 व्यक्ति को नौकरी से निकाल दिया गया है ।इनके आदेश में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि इन व्यक्तियों ने ऐसा कौन सा कदाचार किया ,या इनकी नियुक्ति में माननीय उच्च न्यायालय की किस कंडिका का उल्लंघन पाया गया या ,इन व्यक्तियों ने कौन सा फर्जीवाड़ा किया जिसके कारण इन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है ।इन व्यक्तियों को नौकरी करते हुए 10 से 12 वर्ष हो गए थे ।ये परमानेंट होकर पदोन्नत भी हो गए थे। इनकी सेवाएं स्टैंडिंग ऑर्डर से नियंत्रित होती थी ,किसी ने भी स्टैंडिंग आर्डर का उल्लंघन नहीं किया ।माननीय उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह निर्देश दिया था कि पूर्व में की गई 516 व्यक्तियों की नियुक्ति की जांच की जाए, यदि किसी की नियुक्ति गैरकानूनी या फर्जी तरीके से हुई पाई जाती है तो उसकी नियुक्ति निरस्त की जाए। माननीय उच्च न्यायालय ने जांच का कार्य कलेक्टर अनूपपुर की अध्यक्षता में गठित जिला पुनर्वास समिति को सौंपा था ।समिति ने जांच करने के नाम पर 12/7,13/7,14/7और24/7/2018 को गांववालों से बैठक कर डीसेंडिंग ऑर्डर में नौकरी प्राप्त करने का प्रस्ताव पारित करवाया। इस प्रस्ताव के आधार पर एसईसीएल ने अधिग्रहित जमीन का रोजगार की संख्या के आधार पर कट ऑफ पॉइंट निकाला और जिनकी जमीन कटऑफ प्वाइंट से कम निकली उनकी नियुक्ति 10 साल नौकरी कर लेने के बाद निरस्त कर दी गई ।भागवत प्रसाद दुबे ने बताया कि गांव वालों से बैठक करने का प्रावधान मात्र उस जमीन के लिए किया जाता है जिसका अधिग्रहण कोल इंडिया पुनर्वास नीति 2012 के अनुमोदन के बाद हुआ आमाडांड प्रोजेक्ट के लिए जमीन का अधिग्रहण वर्ष 2004 में किया गया था और भु आश्रितो की नियुक्ति कोल इंडिया की 2008 की नीति में वर्णित पैकेज डील के तहत हुई थी ।माननीय उच्च न्यायालय ने गैरकानूनी रूप से भर्ती हुए व्यक्तियों की नियुक्ति निरस्त करने का निर्देश दिया था लिहाजा जांच समिति को सभी 516 व्यक्तियों के कागजात देखना चाहिए था और यह पता लगाना चाहिए था कि कहीं कोई व्यक्ति फर्जी कागजात दिखाकर तो भर्ती नहीं हुआ ।जांच समिति ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। इसमें सिर्फ कटऑफ पॉइंट के आधार पर उन व्यक्तियों की नियुक्तियां निरस्त की जिनकी जमीनें कम थी। कोल इंडिया ने यह नीति बनाई है कि कम जमीन वाले व्यक्ति एक समूह बनाकर दो एकड़ जमीन कर ले और जिस व्यक्ति को वो नामित करेंगे उसे नौकरी दी जाएगी। एसईसीएल की कार्रवाई उसकी स्वयं की बनाई हुई नीति के खिलाफ है ।श्री दुबे ने इस बात पर दुख प्रकट किया कि एसईसीएल प्रबंधन स्टैंडिंग आर्डर का उल्लंघन कर अपने निर्दोष कर्मचारियों को बिना किसी आधार के नौकरी से निकाल रही है। उन्होंने संचालन समिति के सदस्य यूनियनों से अनुरोध किया कि वे इस प्रकरण को संचालन समिति में उठाएं और 58 व्यक्तियों को न्याय दिलाएं।